श्लोक ०९-०५

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
दूतो न सञ्चरति खे न चलेच्च वार्ता
पूर्वं न जल्पितमिदं न च सङ्गमोऽस्ति ।
व्योम्नि स्थितं रविशाशिग्रहणं प्रशस्तं
जानाति यो द्विजवरः स कथं न विद्वान् ॥ ०९-०५॥
दूत आकाश में नहीं घूमता और न कोई वार्ता पहले कही गई होती है, न कोई मिलन होता है। जो श्रेष्ठ द्विज आकाश में स्थित सूर्य, चंद्र और ग्रहण की सही स्थिति जानता है, वह कैसे ज्ञानी न होगा?

आकाश का सन्नाटा और स्थिरता एक गूढ़ सत्य का प्रतीक है जहाँ दूतों का विचरण या वार्तालाप संभव नहीं। वास्तविकता में संदेशवाहक, जो सामान्यतः पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं, आकाश में न तो गतिशील होते हैं और न ही संवाद स्थापित करते हैं। यह अवलोकन सूक्ष्म दार्शनिक विचार को दर्शाता है कि कुछ स्थान और अवस्था ऐसी होती हैं जहाँ मनुष्य या जीव-जंतु के सामान्य व्यवहार—जैसे भ्रमण या संवाद—असंभव या निरर्थक होते हैं।

पूर्व में कही गई वार्ता न होना और संयोग का अभाव भी इस सत्य को पुष्ट करता है कि आकाश में काल, गति और सामाजिक क्रियाएँ पृथ्वी से भिन्न होती हैं। यहाँ कोई पूर्व सूचना या संवाद आधारित संबंध नहीं, बल्कि एक विस्तृत और स्थिर प्रकृति विद्यमान है।

आकाश में सूर्य, चंद्र और ग्रहण की स्थिति एक उच्चतम ज्योतिषीय और प्राकृतिक व्यवस्था को दर्शाती है। इसके सटीक ज्ञान की प्राप्ति श्रेष्ठ द्विजों के लिए ही संभव है, जो विद्या, अध्ययन और अनुभूति के द्वारा ब्रह्माण्ड के नियमों को समझते हैं। इसका मतलब है कि जो व्यक्ति इस व्यापक और जटिल व्यवस्था को जानता है, वह साक्षात् विद्वान है।

यह ज्ञान न केवल खगोलीय पद्धतियों का विज्ञान है, बल्कि ब्रह्माण्ड की क्रियाओं और उनके सामाजिक, धार्मिक तथा कर्मकांड संबंधी महत्व का भी ज्ञान प्रदान करता है। इसलिए, जो व्यक्ति इस प्रकार के गहन ज्ञान का अधिकारी है, वह संदेहातीत रूप से ज्ञानी और विद्वान माना जाता है।

यह विचार इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि ज्ञान का स्तर उसके विषय के गहन और सटीक अवबोध से निर्धारित होता है। सरल दृष्टांतों और सामान्य संवादों से कहीं ऊपर उठकर ब्रह्माण्ड की इस गूढ़ समझ तक पहुँचना ही सच्ची विद्वता है।

अंत में, यह विषय हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ज्ञानी होने का मापदंड केवल सामाजिक संवाद या अनुभव है, या फिर वह गूढ़ विज्ञान और ब्रह्माण्ड की सूक्ष्म संरचनाओं को जानने की क्षमता भी है? ऐसे प्रश्न बुद्धि की सीमाओं का परीक्षण करते हैं और ज्ञान के व्यापक आयामों को उद्घाटित करते हैं।