जम्बुकालयगते च प्राप्यते वत्सपुच्छखरचर्मखण्डनम् ॥ ०७-१८
जम्बुक के घर जाकर भी मिलता है वत्स के पुच्छ, खर के चर्म के खण्ड।
यह श्लोक कौटिल्य की चाणक्यनीति दर्पण के सातवें अध्याय का अठारहवाँ श्लोक है। इसमें एक सूक्ष्म व्यवहारिक और प्रतीकात्मक अर्थ व्यक्त किया गया है। 'मृगेन्द्रमन्दिर' से तात्पर्य मृगों के स्वभाव या मृगों की आवास-स्थली से है, जो यहाँ ज्ञान, शस्त्र, या शक्ति के ऐसे स्थल का प्रतीक है जहाँ विशेष वस्तु प्राप्त होती है। 'करिकपालमौक्तिकम्' एक विशिष्ट मौक्तिक (मोती) है जो इस स्थल से प्राप्त होता है। इसी प्रकार 'जम्बुकालय' का अर्थ जम्बु (जंबू) फल या स्थान से है, जहाँ से 'वत्सपुच्छखरचर्मखण्डनम्' अर्थात् वत्स के पुच्छ का बाल, खर (खरगोश) के चर्म के टुकड़े प्राप्त होते हैं। यह श्लोक व्यवहार और वस्तुओं के प्राप्ति के असाधारण संदर्भ को दर्शाता है, जो बताता है कि किसी वस्तु को प्राप्त करने के लिए उसका सही स्रोत जानना आवश्यक है।
चाणक्यनीति में अक्सर प्राकृतिक और सामाजिक वस्तुओं, गुणों, और व्यवहारों का संकेत देने के लिए प्राकृतिक उदाहरणों का उपयोग किया जाता है। यहाँ मौक्तिक और खरसंपर्की वस्तुओं के उदाहरण से यह समझाने का प्रयास है कि वस्तुओं का मूल स्थान जानना और वहाँ पहुँचना आवश्यक होता है ताकि उनकी प्राप्ति सुनिश्चित हो सके।
शास्त्र और नीति के सन्दर्भ में, यह संकेत है कि ज्ञान, संसाधन, या उद्देश्य की प्राप्ति के लिए उपयुक्त स्रोत और उचित माध्यम का चुनाव अनिवार्य है। किसी भी वस्तु या फल को प्राप्त करने के लिए उसे उसके स्वाभाविक या प्राकृतिक निवास स्थान से प्राप्त करना ही श्रेष्ठ और वास्तविक होता है। अन्यत्र प्राप्त वस्तु या अनुकरण वस्तु की उपयोगिता और प्रभाव कम होता है। इस दृष्टि से यह श्लोक नीति का सार दर्शाता है कि सफलता के लिए उचित मार्ग और स्रोत का ज्ञान होना अत्यावश्यक है।
इस श्लोक के माध्यम से कौटिल्य यह भी इंगित करते हैं कि वस्तुओं या लाभों के संदर्भ में उनकी प्रकृति और स्रोत का सही ज्ञान आवश्यक है ताकि अवांछित प्रयासों और भ्रम से बचा जा सके। इसके अलावा, यह विचार भी स्पष्ट होता है कि वस्तु या लक्ष्य को पाने के लिए सही स्थान या माध्यम तक पहुँचना ही सफलता की कुंजी है।
कुल मिलाकर, यह श्लोक व्यवहारिक नीति और संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग पर केंद्रित है, जो व्यक्ति को उद्देश्य की सिद्धि के लिए उचित प्रयास और सही मार्गदर्शन का महत्व समझाता है।