अप्रमत्तमविश्वासं पञ्च शिक्षेच्च वायसात् ॥ ६-१९॥
गूढमैथुनचारित्वं इत्यस्मात् अभिप्रायः यत् वैवाहिक अथवा सम्बन्धात्मक जीवन में मैथुन व्यवहार (sexual conduct) सदा प्रकट न कर, नियत समय एवं परिस्थिति अनुसार गुप्त रूपेण नियन्त्रित एवं संयमित किया जाना चाहिए। 'काले काले च सङ्ग्रहम्' इति वाक्यांशः समय-समय पर विवेकपूर्ण विराम और संयम को सूचित करता है, जो सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर अनुकूल होता है।
अप्रमत्तमविश्वासं शब्दः विश्वास के विषय में सतर्कता एवं सावधानी का निर्देश करता है। अर्थात्, किसी पर अंधविश्वास न कर, परन्तु विवेकपूर्वक एवं जांच-परख के साथ भरोसा स्थापित करना चाहिए। यह व्यवहार जीवन में सुरक्षा, संतुलन, और आत्मसंतोष की ओर ले जाता है।
पञ्च शिक्षाः वायसात् इति वाक्यांशः सूचित करता है कि ये पाँच उपर्युक्त गुण या व्यवहार जीवन के लिए प्राणतुल्य हैं। 'वायु' यहाँ प्राण या जीवनशक्ति का प्रतीक है, अतः ये पाँच बातें जीवित रहने, सुखी और सुरक्षित रहने के लिए अत्यन्त आवश्यक मानी गई हैं।
ऐसे व्यवहारों का पालन व्यक्तित्व के सामाजिक, नैतिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। वे न केवल पारस्परिक संबंधों को सुदृढ़ करते हैं, बल्कि स्वयं के प्रति सजगता एवं आत्मनियंत्रण का विकास भी करते हैं। पञ्च शिक्षाओं में गुप्तता, संयम, सतर्कता, विवेकपूर्ण विश्वास और समय का सम्मान सम्मिलित हैं, जो व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिरता प्रदान करते हैं।
इतिहास और नीतिशास्त्रों में भी विवेकपूर्ण व्यवहार और विश्वास की महत्ता अनेकानेक ग्रंथों एवं शास्त्रों में वर्णित है। व्यक्तित्व विकास के लिए ये शिक्षाएँ नैतिक और आध्यात्मिक रूप से उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। अतः, व्यवहार एवं विश्वास में सावधानी, समय का सम्मान, और सतर्कता जीवन को समृद्ध एवं सुरक्षित बनाते हैं।