मौनेन कलहो नास्ति नास्ति जागरिते भयम् ॥ ॥०३-११॥
वस्तुतः जीवन की चार प्रमुख समस्याएँ—दरिद्रता, पाप, कलह, और भय—मनुष्य के अपने आचरण और दृष्टिकोण से उत्पन्न होती हैं। ये समस्याएँ नियति या भाग्य की अंधी व्यवस्था नहीं हैं, बल्कि विवेकहीनता, आलस्य, वाचालता और असावधानी के स्वाभाविक परिणाम हैं। जो व्यक्ति अपने जीवन में उद्योग को प्रधानता देता है, वह दरिद्रता के अभिशाप से मुक्त हो जाता है। क्योंकि उद्योग स्वयं एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें संसाधनों का अर्जन, विकास और रक्षण निहित होता है। परिश्रमी व्यक्ति कभी निष्क्रिय नहीं रहता, और निष्क्रियता ही दरिद्रता की पहली सीढ़ी है।
इसी प्रकार, जो जप करता है—अर्थात् अपने चित्त को किसी उच्च भाव, मंत्र या नाम में एकाग्र करता है—वह पाप से बचा रहता है। जप केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक मानसिक अनुशासन है जो व्यक्ति को विकारों से दूर रखता है। मन जब जप में तल्लीन होता है, तब वह वासना, क्रोध, ईर्ष्या जैसे भावों की ओर प्रवृत्त नहीं होता। यह आत्मसंयम का सूक्ष्मतम रूप है, जहाँ पाप का अवकाश ही नहीं बचता।
मौन का महत्व इस दृष्टि से गहरा है कि वाणी ही कलह का मूल कारण होती है। अधिकांश झगड़े शब्दों से प्रारंभ होते हैं—ताने, आरोप, व्यंग्य या अनावश्यक वाद-विवाद। जो व्यक्ति मौन रहने की कला जानता है, वह अशांति को आरंभ होने से पहले ही समाप्त कर देता है। मौन केवल मौन धारण करना नहीं, बल्कि यह वह आंतरिक स्थितप्रज्ञता है जहाँ प्रतिक्रिया की आवश्यकता ही समाप्त हो जाती है। यह विवादों के दायरे से बाहर रहने की दक्षता है।
जागरूकता का स्थान भय की अनुपस्थिति में है। भय तब उत्पन्न होता है जब मनुष्य असावधान होता है—भविष्य को लेकर, शत्रु को लेकर, या अपने निर्णयों के प्रति। जो व्यक्ति जागरूक है, उसे परिस्थितियाँ आश्चर्यचकित नहीं करतीं। उसकी तैयारी, दृष्टि और सावधानी ही उसे सुरक्षित बनाती है। जागरूक व्यक्ति भय से नहीं भागता, बल्कि भय को उत्पन्न ही नहीं होने देता।
इन चार तत्वों—उद्योग, जप, मौन और जागरूकता—का समन्वय जीवन को शांति, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में ले जाता है। ये कोई दैविक वरदान नहीं, बल्कि व्यावहारिक साधन हैं जिनसे कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को परिवर्तित कर सकता है। वास्तविक परिवर्तन बाह्य नहीं, आंतरिक अनुशासन से उत्पन्न होता है। यह अनुशासन ही वह शस्त्र है जिससे मनुष्य भाग्य से भी अधिक शक्तिशाली बन सकता है।