श्लोक ०२-०९

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
शैले शैले च माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे । साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने ॥ ॥०२-०९॥
प्रत्येक पर्वत पर माणिक्य नहीं होता, प्रत्येक हाथी में मोती नहीं होता, सज्जन पुरुष सब जगह नहीं मिलते और प्रत्येक वन में चन्दन नहीं होता।

यह उक्ति दुर्लभता के सिद्धांत पर आधारित है। संसार में कुछ वस्तुएँ और गुण ऐसे होते हैं जो आसानी से उपलब्ध नहीं होते। उनका मूल्य इसलिए भी अधिक होता है क्योंकि वे हर जगह नहीं पाए जाते। यह सूत्र हमें सिखाता है कि हमें दुर्लभ और मूल्यवान चीजों की सराहना करनी चाहिए और उन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए।

जिस प्रकार हर पर्वत पर माणिक्य नहीं मिलता, उसी प्रकार हर व्यक्ति में विशिष्ट गुण नहीं होते। माणिक्य एक दुर्लभ और मूल्यवान रत्न है जो कुछ विशेष पर्वतों में ही पाया जाता है। इसी प्रकार, कुछ लोग ही होते हैं जिनमें असाधारण प्रतिभा, ज्ञान या करुणा होती है। हमें ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।

यह सूत्र हमें यह भी सिखाता है कि हमें हर किसी से सब कुछ उम्मीद नहीं करनी चाहिए। जिस प्रकार हर हाथी में मोती नहीं होता, उसी प्रकार हर व्यक्ति में सभी गुण नहीं होते। हमें लोगों को उनकी कमियों के साथ स्वीकार करना चाहिए और उनकी खूबियों की सराहना करनी चाहिए।

सज्जन पुरुष और चंदन की दुर्लभता को यहाँ विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। सज्जन पुरुष वे होते हैं जो अपने आचरण में नैतिक और दयालु होते हैं। वे दूसरों के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखते हैं। चंदन एक सुगंधित लकड़ी है जिसका उपयोग धार्मिक और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है। सज्जन पुरुष और चंदन दोनों ही दुर्लभ और मूल्यवान हैं।

यह सूत्र हमें यह याद दिलाता है कि संसार में अच्छाई और सुंदरता हमेशा मौजूद नहीं होती है। हमें जब भी यह मिले, तो उसकी सराहना करनी चाहिए और उसे संजोना चाहिए। हमें दुर्लभ और मूल्यवान चीजों की तलाश करनी चाहिए और उन्हें अपने जीवन में शामिल करने का प्रयास करना चाहिए।