किसी भी कार्य की सफलता के लिए गोपनीयता एक महत्वपूर्ण तत्व है। जब हम किसी योजना को अपने मन में सोचते हैं, तो उसे तुरंत दूसरों के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हम अपनी योजनाओं को दूसरों के साथ साझा करते हैं, तो हम अनजाने में उन्हें संभावित विफलताओं के प्रति संवेदनशील बना देते हैं। लोग ईर्ष्या, डर या अज्ञानता के कारण हमारी योजनाओं को विफल करने की कोशिश कर सकते हैं। वे हमारी योजनाओं में कमियाँ निकाल सकते हैं, हमें हतोत्साहित कर सकते हैं, या हमारे विचारों को चुरा भी सकते हैं।
इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी योजनाओं को गुप्त रखें, खासकर जब तक कि वे पूरी तरह से विकसित न हो जाएं और हम उन्हें क्रियान्वित करने के लिए तैयार न हों। अपनी योजनाओं को गुप्त रखने का मतलब यह नहीं है कि हमें दूसरों के साथ सहयोग नहीं करना चाहिए। इसका मतलब है कि हमें उन लोगों के साथ जानकारी साझा करने में चयनात्मक होना चाहिए जिन पर हम भरोसा करते हैं और जो हमारी योजनाओं का समर्थन करने की संभावना रखते हैं।
इस सूत्र में 'मंत्र' शब्द का प्रयोग गोपनीयता की शक्ति को दर्शाता है। जिस प्रकार मंत्र को गुप्त रखा जाता है और उसका जाप केवल योग्य व्यक्ति द्वारा ही किया जाता है, उसी प्रकार अपनी योजनाओं को भी गुप्त रखना चाहिए और उन्हें केवल तभी प्रकट करना चाहिए जब सही समय आए। गोपनीयता हमारी योजनाओं को नकारात्मक प्रभावों से बचाती है और हमें उन्हें सफल बनाने की संभावना बढ़ाती है।
जब हम अपनी योजनाओं को गुप्त रखते हैं, तो हम उन्हें बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं। हम बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के अपनी योजनाओं को विकसित और परिष्कृत कर सकते हैं। हम अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए सर्वोत्तम रणनीति बना सकते हैं। और हम संभावित विफलताओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकते हैं।
इसलिए, हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि गोपनीयता सफलता की कुंजी है। हमें अपने मन में सोचे हुए कार्यों को वाणी से प्रकट नहीं करना चाहिए, बल्कि उन्हें मंत्र के समान गुप्त रखकर कार्य में लगा देना चाहिए।