यह सूत्र विश्वास और अविश्वास के मध्य एक सूक्ष्म रेखा को दर्शाता है। जीवन में किसी पर भी आँख मूंदकर विश्वास करना उचित नहीं है, चाहे वह कितना भी करीबी क्यों न हो। विशेष रूप से, दुष्ट या बुरे मित्र पर तो कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह हमेशा हानि पहुंचाने के अवसर की तलाश में रहता है। लेकिन, यह सूत्र एक कदम आगे बढ़कर यह भी कहता है कि एक अच्छे मित्र पर भी पूरी तरह से विश्वास नहीं करना चाहिए।
इसका कारण यह है कि परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं, और आज जो आपका सबसे अच्छा मित्र है, कल वह किसी कारणवश क्रोधित या नाराज हो सकता है। क्रोध और नाराजगी में, व्यक्ति विवेक खो बैठता है और ऐसी बातें कह या कर सकता है जिससे उसे बाद में पछतावा हो। एक मित्र जो क्रोधित है, वह आपके रहस्यों को प्रकट कर सकता है, आपकी कमजोरियों का फायदा उठा सकता है, और आपको नुकसान पहुंचाने के लिए आपके खिलाफ जानकारी का उपयोग कर सकता है।
इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें किसी पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, और हमें अपने जीवन में दूसरों के साथ संबंध बनाने और बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्वास किसी भी स्वस्थ संबंध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, हमें हमेशा विवेक का उपयोग करना चाहिए और किसी पर भी पूरी तरह से विश्वास करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि हर कोई गलतियाँ कर सकता है, और परिस्थितियाँ लोगों को बदल सकती हैं।
इसलिए, हमें अपने रहस्यों को साझा करते समय सावधान रहना चाहिए, और हमें कभी भी किसी को ऐसी जानकारी नहीं देनी चाहिए जिसका उपयोग हमारे खिलाफ किया जा सकता है। हमें हमेशा अपने आसपास के लोगों के चरित्र और इरादों का आकलन करना चाहिए, और हमें केवल उन लोगों पर विश्वास करना चाहिए जिन्होंने समय के साथ अपनी वफादारी और विश्वसनीयता साबित की है।
यह सूत्र हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और अपने आप को संभावित खतरों से बचाना चाहिए। हमें यह भी सिखाता है कि हमें क्षमा करने और भूलने के लिए तैयार रहना चाहिए, लेकिन हमें कभी भी भोला नहीं होना चाहिए। विश्वास एक अनमोल चीज है, और इसे सोच-समझकर और सावधानी से दिया जाना चाहिए।