विस्मयो नहि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा ॥ ॥१४-०८॥
संभावनाओं की सीमा वहीं समाप्त होती है जहाँ दृष्टिकोण की सीमा आरंभ होती है। यह भ्रम कि महानता दुर्लभ है, अक्सर व्यक्ति के अपने संकीर्ण अनुभवों का परिणाम होता है। परंतु जिस भूमि पर असंख्य युगों से अनगिनत महामानव उत्पन्न हुए हों, जहाँ सतत संघर्ष, ज्ञान की खोज और नैतिक उत्कर्ष की परंपरा रही हो, वहाँ दान, तप, शौर्य, ज्ञान, विनय और नीति जैसे गुणों का प्रकट होना कोई चमत्कार नहीं, बल्कि अपेक्षित स्वाभाविकता है।
‘बहुरत्ना वसुन्धरा’ — यह एक स्मरण है कि पृथ्वी केवल भौतिक रत्नों से ही नहीं, बल्कि गुणों और चरित्र के रत्नों से भी परिपूर्ण है। जब कोई व्यक्ति अपने साहस, तपस्या या नीतिमत्ता से समाज को चमत्कृत करता है, तो उसकी प्रशंसा स्वाभाविक है; किंतु यदि उस पर विस्मय हो, तो यह हमारी ही अपेक्षा की दरिद्रता दर्शाता है, न कि उस गुण की अप्रत्याशिता।
ऐसे गुणों का उदय असामान्य नहीं है, बल्कि वे हर युग, हर क्षेत्र, हर परिस्थिति में संभव हैं — बशर्ते समाज में अनुकूल वातावरण हो और व्यक्ति में साहस व सत्य के प्रति आस्था हो। विस्मय की प्रवृत्ति अंततः मानवीय अकर्मण्यता और सामूहिक हीनता-बोध को पुष्ट करती है, मानो महानता किसी विशेषाधिकार का फल हो। यह दृष्टिकोण न केवल नैतिक उत्सव को बाधित करता है, बल्कि अगली पीढ़ियों की आकांक्षाओं पर भी कुठाराघात करता है।
किसी गुणवान व्यक्ति को देख विस्मित होना, यह मान लेना है कि उस स्तर की क्षमता दुर्लभ है, जबकि तथ्य यह है कि उन गुणों की जड़ें प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान होती हैं। फर्क केवल इस बात का है कि किसने उन्हें सींचा और किसने उन्हें उपेक्षित कर दिया। जैसे रत्न पृथ्वी की गहराइयों में होते हैं और उन्हें पाने हेतु परिश्रम करना पड़ता है, वैसे ही आत्मगुणों को जागृत करने में भी तपस्या और अभ्यास अपेक्षित है।
इस चेतावनी के पीछे यह दृष्टिकोण है कि समाज को अपनी चेतना का स्तर इतना ऊँचा करना चाहिए कि वह गुण को विस्मय नहीं, स्वाभाविक प्रतीति मानकर आगे बढ़े। अन्यथा, जब भी कोई साधारण परिस्थितियों से उठकर असाधारण बनेगा, समाज उसे चमत्कार मानेगा और स्वयं को उससे पृथक अनुभव करेगा — यही दूरी अंततः सामाजिक हीनता और निष्क्रियता का कारण बनती है।
सामाजिक जागरूकता की पराकाष्ठा यही है कि गुणों का स्वागत हो, पर विस्मय नहीं; प्रेरणा मिले, पर हीनता नहीं; सम्मान हो, पर अंधभक्ति नहीं।