श्लोक १४-१७

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
सुसिद्धमौषधं धर्मं गृहच्छिद्रं च मैथुनम् ।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत् ॥ ॥१४-१७॥
सफल औषध, धर्म, घर की कमजोरी और मैथुन — तथा खराब भोजन और बुरी सुनी बातों को बुद्धिमान व्यक्ति प्रकट नहीं करता।

विवेकशीलता केवल ज्ञान नहीं, मौन की कला भी है। कुछ बातें चाहे जितनी सत्य और उपयोगी क्यों न हों, उनका सार्वजनिक प्रकटन दुर्बुद्धि का प्रतीक बन सकता है। सफलता प्राप्त औषधि — जिससे रोग मिटता है — यदि सर्वत्र बता दी जाए, तो उसका दुरुपयोग, अनुचित व्यापार या दुर्बुद्ध लोगों द्वारा उसका मिथ्याचार हो सकता है। यह केवल एक औषधि की बात नहीं, बल्कि उस ज्ञान की रक्षा का विषय है जो लोगों की भलाई के लिए है, किंतु भीड़ में खो सकता है।

धर्म का भी यही स्वभाव है। जब कोई मनुष्य अपने धर्म की आंतरिक साधना या निष्कलंक कर्मों की चर्चा करता है, तो वह अहंकार या प्रदर्शन की ओर बढ़ सकता है, और उसकी साधना का सार नष्ट हो सकता है। धर्म का प्रकाशन उसे व्यापार या दिखावा बना देता है।

गृह की कमजोरियाँ — जैसे गुप्त दरारें, संरचना की असुरक्षा, पारिवारिक दुर्बलताएँ — यदि बाहर प्रकट कर दी जाएँ तो वे शत्रु, ठग, या दुर्जनों के लिए हथियार बन जाती हैं। यह केवल भौतिक असुरक्षा नहीं, मानसिक और सामाजिक असंतुलन का कारण भी बनता है।

मैथुन (यौन संबंध) एक अत्यंत व्यक्तिगत विषय है। जब इसका प्रचार या उल्लेख होता है, तो वह मर्यादा और गरिमा को खंडित करता है। शील और विवेक का पतन वहीं से प्रारंभ होता है जहाँ निजता समाप्त होती है। किसी के यौन जीवन का प्रदर्शन उसकी आत्मा की नग्नता का सूचक है, और समाज की शुद्धि में बाधक भी।

कुभुक्तं — यानी खराब भोजन — और कुश्रुतं — यानी बुरी सुनी बातें — दोनों ही अनावश्यक हैं। यदि आपने कुछ अशुद्ध खा लिया, या किसी ने कुछ अपमानजनक या मूर्खतापूर्ण कह दिया, तो उसे सबके सामने बताना केवल स्वयं को नीचा दिखाने जैसा है। एक समझदार व्यक्ति इन बातों को मन में रखता है, उन्हें आत्मसुधार के लिए उपयोग करता है, न कि दिखावे या सहानुभूति पाने के लिए।

कौन सी बात सार्वजनिक की जाए और कौन सी नहीं — यह निर्णय ही बुद्धि का प्रमाण है। सारी बातों को प्रकट करना सरलता नहीं, मूर्खता है। मौन, विवेक और आत्मसंयम वही सीखता है जो अपने शब्दों के परिणाम को गहराई से समझता है। आत्मसंयम की परीक्षा अक्सर वाणी के माध्यम से होती है।