श्लोक १३-१९

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
सन्तोषस्त्रिषु कर्तव्यः स्वदारे भोजने धने ।
त्रिषु चैव न कर्तव्योऽध्ययने जपदानयोः ॥ ॥१३-१९॥
सन्तोष तीन बातों में करना चाहिए — अपनी पत्नी, भोजन और धन में। और तीन बातों में सन्तोष नहीं करना चाहिए — अध्ययन, जप और दान में।

सन्तोष का स्थान जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है, परन्तु यह सार्वत्रिक सद्गुण नहीं है। सन्तोष का चयनित प्रयोग आवश्यक है, अन्यथा यह प्रगति का शत्रु बन सकता है। व्यक्ति को अपनी पत्नी, भोजन और धन में सन्तोष रखना चाहिए, क्योंकि इन तीनों में असन्तोष का अर्थ है अतृप्ति, लालच और विकृति की ओर बढ़ना। पत्नी में असन्तोष पारिवारिक विघटन और चरित्रहीनता की ओर ले जाता है; भोजन में असन्तोष अपच, रोग और लोलुपता को जन्म देता है; और धन में असन्तोष लोभ, छल, और अधर्म का कारण बनता है।

परन्तु अध्ययन, जप और दान — ये तीन क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ कभी सन्तोष नहीं होना चाहिए। अध्ययन में सन्तोष का अर्थ है ज्ञान की सीमा बाँध देना, जबकि ज्ञान की कोई परिधि नहीं होती। जो अध्ययन से संतुष्ट हो जाता है, वह अज्ञानता में जड़ हो जाता है। जप में सन्तोष आध्यात्मिक ऊर्जा की क्षति करता है, क्योंकि जप जितना अधिक होगा, चित्त उतना ही शुद्ध होगा। और दान में सन्तोष सामाजिक उत्तरदायित्व से विमुख कर देता है।

यह विरोधाभास एक गहरी जीवनदृष्टि को उद्घाटित करता है: सन्तोष और असन्तोष दोनों का स्थान है, परन्तु वह संदर्भानुसार है। जहाँ सन्तोष आत्मनियंत्रण और संयम का प्रतीक है, वहीं असन्तोष विकास, साधना और परमार्थ का द्योतक है। एक गृहस्थ को अपनी भौतिक सीमाओं में सन्तोष रखना चाहिए ताकि वह जीवन की उच्चतर साधनाओं की ओर प्रवृत्त हो सके।

अगर व्यक्ति धन में असन्तोष रखे और जप में सन्तोष रखे, तो उसका जीवन बाह्य रूप से समृद्ध लेकिन आंतरिक रूप से रिक्त हो जाता है। यह असंतुलन उसे विकृतियों की ओर ले जाता है — वह अधिक पाने के लिए छल करता है, कम देने के लिए कृपणता दिखाता है, और आत्मज्ञान से विमुख हो जाता है। यही कारण है कि विवेकशीलता यह निर्धारित करती है कि सन्तोष कहाँ करना है और कहाँ नहीं।

सन्तोष का सही स्थान जानने वाला व्यक्ति जीवन में संतुलन, मर्यादा और प्रगति तीनों को एक साथ साध सकता है। उसकी दृष्टि न तो भोग में लिप्त होती है, न त्याग में खो जाती है, बल्कि वह सही क्षेत्रों में सीमित होकर अपने जीवन को उच्चतर उद्देश्यों के लिए समर्पित कर पाता है।