श्लोक १३-१०

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
धर्मार्थकाममोक्षाणां यस्यैकोऽपि न विद्यते ।
अजागलस्तनस्येव तस्य जन्म निरर्थकम् ॥ ॥१३-१०॥
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों में से यदि किसी एक का भी ज्ञान उस व्यक्ति में नहीं है, तो उसके जन्म का कोई अर्थ नहीं है, वह उस अजागल (जंगल) के समान ही है।

जीवन के प्रमुख चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष हैं, जिनका ज्ञान और साधना मनुष्य के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। इनमें से किसी एक का भी ज्ञान न होना, अर्थात् जीवन के इन मूलभूत लक्ष्यों को न समझना, जन्म को निरर्थक बना देता है। जन्म का उद्देश्य केवल भौतिक अस्तित्व नहीं, बल्कि इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति के लिए होना चाहिए।

अजागल का अर्थ है घना और घना जंगल, जहाँ कोई मार्ग नहीं होता, जहाँ भ्रम और अज्ञान का साम्राज्य होता है। यदि किसी में पुरुषार्थों का ज्ञान नहीं तो वह व्यक्ति उसी अजागल की तरह है, जो बिना दिशा और उद्देश्य के भटकता रहता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन लक्ष्यहीन और व्यर्थ हो जाता है।

यह कथन जीवन के अस्तित्व और उद्देश्य की गंभीरता को रेखांकित करता है। केवल जन्म लेना पर्याप्त नहीं, बल्कि जन्म का सार पुरुषार्थों का सही ज्ञान और उनके पालन में निहित है। धर्म जीवन के नैतिक और सामाजिक नियमों को प्रस्तुत करता है, अर्थ जीविकोपार्जन और सामाजिक व्यवस्था की नींव है, काम जीवन की इच्छाओं और उत्साह का स्रोत है, और मोक्ष आत्मा की अंतिम मुक्ति है। इनमें से किसी का अभाव व्यक्ति को अधूरा, असंतुष्ट और असफल बनाता है।

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो मानव जीवन का मूल्य तभी सिद्ध होता है जब वह इन चार पुरुषार्थों का सम्यक् ज्ञान अर्जित कर उनका पालन करे। बिना इस ज्ञान के जीवन, सामाजिक और आध्यात्मिक दोनों दृष्टिकोण से अधूरा और निरर्थक हो जाता है।

मनुष्य का जन्म एक महान अवसर है, जो सिर्फ जीवित रहने या सांसारिक सुख पाने के लिए नहीं, बल्कि पूर्णता और मुक्ति के लिए है। जब यह ज्ञान नहीं होता, तो जन्म का मूल्य जंगल की तरह खो जाता है, जहाँ केवल अस्तित्व है लेकिन कोई दिशा या अर्थ नहीं। यह शाश्वत सत्य है कि ज्ञान के बिना जीवन अंधकारमय है और उसका कोई स्थायी फल नहीं।

इसलिए, यह आवश्यक है कि जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के ज्ञान और साधना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। इनके बिना जीवन व्यर्थ है, और वह व्यक्ति अपने जन्म को सार्थक नहीं बना पाता।