श्लोक १२-२०

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
नाहारं चिन्तयेत्प्राज्ञो धर्ममेकं हि चिन्तयेत् ।
आहारो हि मनुष्याणां जन्मना सह जायते ॥ ॥१२-२०॥
प्राज्ञ व्यक्ति भोजन के विषय में नहीं, बल्कि केवल धर्म के विषय में विचार करता है। क्योंकि भोजन तो मनुष्यों के जन्म के साथ ही उत्पन्न होता है।

भोजन की चिंता मनुष्य के जन्म से ही स्वतः उत्पन्न होती है, यह स्वाभाविक और सहज है। किंतु जो व्यक्ति वास्तव में प्राज्ञ होता है, वह इस भौतिक आवश्यकता के बाहर जाकर केवल धर्म की चिंता करता है। धर्म की चिंता में मनुष्य का जीवन मूल्यवान और सार्थक बनता है। भोजन केवल शरीर की आवश्यक पूर्ति है, पर धर्म वह नैतिक और आध्यात्मिक आधार है जिसके सहारे जीवन को ऊँचाई प्राप्त होती है।

यह विचार जीवन के प्राथमिक और गौण तत्वों के बीच के भेद को स्पष्ट करता है। अधिकांश मनुष्य केवल भौतिक आवश्यकताओं में फंसे रहते हैं और उनके विचार सीमित रहते हैं, जबकि प्राज्ञता का परिचय उस दृष्टिकोण से होता है जो भौतिक से ऊपर उठकर स्थायी मूल्य, नीति, और कर्तव्य की ओर केंद्रित होता है।

धर्म की चिंता का अर्थ केवल धार्मिक क्रियाकलापों या अनुष्ठानों से नहीं है, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में न्याय, सत्य, और नैतिकता का पालन करना है। जब एक व्यक्ति अपने कर्म, विचार, और व्यवहार में धर्म को प्रधानता देता है, तब वह स्वंय और समाज के लिए स्थायी कल्याण का कारण बनता है।

इस संदर्भ में भोजन का उदाहरण यह दर्शाता है कि जो तत्व जीवन के लिए आवश्यक हैं, वे स्वाभाविक रूप से प्रकट होते हैं, परंतु उनका सही उपयोग तभी संभव है जब व्यक्ति उनका मूल्य समझकर उचित धर्म का पालन करे। भोजन बिना धर्म के केवल शरीर को पोषण देता है, पर धर्म के बिना जीवन शून्य और अधूरा रहता है।

प्राज्ञ व्यक्ति भोजन के पीछे भागने के बजाय अपने जीवन के उच्चतम उद्देश्य की चिन्ता करता है। यह चिन्ता उसे संकीर्ण और क्षणिक सुखों से ऊपर उठकर स्थायी और परिपूर्ण जीवन की ओर ले जाती है। वास्तव में, जीवन का मूल लक्ष्य केवल जीवित रहना नहीं, बल्कि धर्म के मार्ग पर चलकर उत्तम जीवन प्राप्त करना है।

यह दृष्टिकोण हमें एक व्यापक जीवन दर्शन की ओर उन्मुख करता है जहाँ भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति और आध्यात्मिक विकास का संतुलन आवश्यक होता है। केवल भौतिक सुखों की चिंता मनुष्य को दासत्व में डालती है, जबकि धर्म की चिंता उसे स्वाधीनता, सम्मान, और आत्मसाक्षात्कार की ओर ले जाती है।