अनृतं द्यूतकारेभ्यः स्त्रीभ्यः शिक्षेत कैतवम् ॥ ॥१२-१८॥
विनय का स्थान समाज में अत्यंत उच्च होता है, विशेषकर राजपुत्रों और पंडितों के संदर्भ में। राजपुत्र, जो भविष्य के शासक होते हैं, उनके व्यक्तित्व में विनय का होना शासन की स्थिरता और लोककल्याण के लिए आवश्यक है। पंडित, जो ज्ञान और विवेक के प्रतीक हैं, उनके व्यवहार में विनय शिष्टता और सम्मान के साथ जुड़ा होता है, जो उनके उच्च चरित्र को प्रदर्शित करता है। विनय ही समाज और सत्ता में सामंजस्य स्थापित करता है।
वहीं दूसरी ओर, द्यूतियां (जुएं खेलने वाले) और स्त्रियां, यहाँ प्रतीकात्मक रूप में उन समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिनसे सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि इनसे अनृत और छल-प्रपंच की आशंका रहती है। द्यूतियों का स्वभाव जोखिमपूर्ण और अविश्वसनीय माना जाता है क्योंकि जुआ स्वाभाविक रूप से अधर्म और मिथ्या पर आधारित होता है। स्त्रियों के संदर्भ में, यहाँ 'शिक्षेत कैतवम्' से संकेत मिलता है कि छल-कपट और असत्य का व्यवहार उनसे सिखने योग्य नहीं बल्कि उनसे सतर्क रहना चाहिए।
यहां 'अनृतं' शब्द पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है, जो न केवल झूठ बल्कि कुल मिलाकर सत्य के विरुद्ध व्यवहार को इंगित करता है। जुआ और छल की प्रवृत्तियाँ समाज के लिए विषाक्त होती हैं, जो न्याय और नैतिकता को खोखला कर देती हैं। अतः इनसे सावधान रहना और उनसे शिक्षा लेने से बचना आवश्यक है।
यह विचार समाज में नैतिक विभाजन का सूचक है कि किन गुणों को अपनाना चाहिए और किन दोषों से दूर रहना चाहिए। विनय, जो सादगी, शिष्टता, और सम्मान का प्रतीक है, उसे श्रेष्ठ समझा गया है, जबकि अनृत और कैतव (चालाकी, कपट) को नकारात्मक रूप से दर्शाया गया है। यह स्पष्ट करता है कि नैतिक मूल्य और आचरण का चुनाव व्यक्ति और समाज दोनों के कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
अलग-अलग समूहों के व्यवहारिक लक्षणों पर यह विभाजन सामाजिक सुरक्षा, नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक नीति के लिए उपयोगी है। यह एक प्रकार का चेतावनी है कि किनसे कौन से गुण ग्रहण किए जाएं और किनसे दूर रहना चाहिए। यह शिक्षा न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी स्थिरता और सफलता के लिए आवश्यक है।
विनय की सीख उच्च विचार, नैतिकता और समाजिक सौहार्द की नींव है, जबकि अनृत और कैतव से सतर्कता से सामाजिक पतन और नैतिक पतन से बचा जा सकता है। व्यवहारिक दृष्टिकोण से, यह बोध कराता है कि ज्ञान और नैतिकता के स्तंभों से ही जीवन में स्थिरता आती है, न कि छल, कपट और असत्य से।