श्लोक ११-१५

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
परकार्यविहन्ता च दाम्भिकः स्वार्थसाधकः ।
छली द्वेषी मृदुः क्रूरो विप्रो मार्जार उच्यते ॥ ॥११-१५॥
जो दूसरों के कार्यों को विघ्नित करने वाला, दिखावा करने वाला, स्वार्थ साधने वाला, छल करने वाला, द्वेषी, नम्र दिखने वाला लेकिन कठोर होता है—ऐसे व्यक्ति को विप्र (ब्राह्मण) के समान मर्जार (बिल्ली) कहा जाता है।

इस व्यक्तित्व प्रकार में एक विरोधाभास छिपा है, जो सामाजिक और नैतिक दृष्टि से गहन चिंता का विषय है। परकार्यविहन्ता अर्थात जो अपने स्वार्थ के लिए दूसरों के हित या कार्यों को बाधित करता है, वह न केवल समाज की प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि संबंधों में अविश्वास और विद्वेष का बीज भी बोता है। इस स्वार्थसाधकता में दम्भ, छल, और द्वेष जुड़ा होता है, जो उसके चरित्र की दोहरी प्रकृति को उजागर करता है।

ऐसे व्यक्ति की मृदुता केवल आड़ है, एक मुखौटा जिसके पीछे क्रूरता और छल छिपा होता है। यह द्वैत भाव उसके स्वभाव की मूल प्रकृति को छुपाता है, जिससे वह अपने हितों की पूर्ति के लिए दूसरों को धोखा देता है। इस संदर्भ में, विप्र (ब्राह्मण) की तुलना मर्जार (बिल्ली) से इस कारण की गई है कि विप्र स्वाभाविक रूप से ज्ञान और शांति के प्रतीक होते हैं, लेकिन जब उनकी आड़ में छल और स्वार्थ होता है, तो वे भी भयानक और धोखेबाज बन जाते हैं, जैसे बिल्ली जो अपनी चालाकी और चुपके से शिकार करती है।

इस प्रकार, यह संकेत मिलता है कि केवल बाहरी आचरण या पद से किसी की नैतिकता और विश्वसनीयता का निर्णय नहीं किया जा सकता। दम्भी और छलकपट से भरे व्यक्ति की मृदुता सतही होती है और उसके पीछे छिपे स्वार्थ और द्वेष के कारण उसके कर्म समाज के लिए हानिकारक होते हैं।

यह विचार सामाजिक व्यवहार और नीति निर्माण में अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसे व्यक्तित्व से सावधान रहना आवश्यक है जो दिखावे के पीछे छुपे स्वार्थों और विध्वंसकारी प्रवृत्तियों से प्रेरित हो। एक समाज या संगठन की स्थिरता के लिए ऐसे द्वैत और छलपूर्ण स्वभावों का उन्मूलन आवश्यक है, अन्यथा वे अंततः विघटन और अविश्वास को जन्म देते हैं।

इस प्रवृत्ति के गहरे विश्लेषण में, मनुष्य की द्वैत स्वभाव की प्रकृति को समझा जा सकता है जहाँ मृदुता और क्रूरता एक साथ निवास करती हैं, और सतही सौम्यता के पीछे घातक स्वार्थ छिपा होता है। यह मनुष्य के चरित्र की जटिलताओं को उद्घाटित करता है और सतर्क रहने की चेतावनी देता है।

तदर्थ, इस प्रकार के व्यक्ति की पहचान करना और उनसे दूरी बनाना सामाजिक सद्भाव, नैतिकता और व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।