श्लोक ०१-१३

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते ।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव हि ॥ ॥१३॥
जो स्थिर वस्तुओं को त्याग कर अस्थिर का सेवक बनता है, उसकी स्थिर वस्तुएँ नष्ट हो जाती हैं और अस्थिर तो पहले ही नष्ट हो चुका होता है।

मानवप्रवृत्तियों में एक गूढ़ प्रवृत्ति यह भी होती है कि व्यक्ति प्रायः तत्काल लाभ की ओर आकर्षित होकर दीर्घकालिक मूल्यों और स्थायित्ववती निधियों को त्याग देता है। यह प्रवृत्ति एक प्रकार की मोहजन्य भ्रान्ति है, जो स्थायित्व की अपेक्षा क्षणिक आकर्षण को अधिक महत्त्व देती है। किन्तु यह दृष्टिकोण अस्तित्व की मूलभूत गति को नहीं पहचानता।

ध्रुवता का तात्पर्य है — जो परिवर्तनशील नहीं, जो यथार्थ है, जो चिरस्थायी है। यह स्थायित्व कभी-कभी धर्म, कर्तव्य, सम्बन्ध, आत्मबल, चरित्र या जीवन-मूल्य के रूप में प्रकट होता है। इसके विपरीत, अध्रुवता वह है जो क्षणभंगुर है — जैसे कि ऐश्वर्य, लौकिक सुख, मान-प्रतिष्ठा अथवा लाभ।

व्यक्ति जब अध्रुव की आशा में ध्रुव का परित्याग करता है, तब वह एक प्रकार से सत्य को असत्य से बदलने का प्रयास करता है। फलतः उसकी ध्रुव निधियाँ — जो वास्तव में उसकी रक्षा कर सकती थीं — नष्ट हो जाती हैं। अध्रुव वस्तु तो स्वभावतः ही अनिश्चित है, अतः उसकी क्षति अपरिहार्य है। यह न केवल व्यावहारिक जीवन में, अपितु बौद्धिक और आत्मिक क्षेत्र में भी अत्यन्त गम्भीर शिक्षा है।

यथा कोई व्यक्ति किसी लाभप्रद सौदे के प्रलोभन में आकर अपने पुराने विश्वसनीय भागीदारों से मुख मोड़ ले — वहाँ वह न केवल पुराने सम्बन्ध खो बैठता है, अपितु नया लाभ भी जब हाथ नहीं आता, तब वह निर्वस्त्र खड़ा रह जाता है। इसी प्रकार, जो विद्यार्थी स्वाध्याय और अभ्यास जैसे ध्रुव कर्मों को त्यागकर केवल परीक्षा के लिए रटने और चीटिंग जैसे अध्रुव उपायों का आश्रय लेता है, वह अन्ततः दोनों ही मार्गों से वंचित रह जाता है — न तो ज्ञान प्राप्त करता है, न ही सफलता।

इसलिये विवेकशीलता का मूल यही है — स्थायी को पहचानना, अस्थायी को सीमित रखना, और निर्णयों में दीर्घदृष्टि रखना। अध्रुव की ओर आकृष्ट होना स्वाभाविक हो सकता है, किन्तु यदि यह आकर्षण ध्रुव की हानि का कारण बने, तो यह आकर्षण पतन का मूल बनता है। जीवन की प्रत्येक स्थिति में यह मापदण्ड रखना आवश्यक है — क्या मैं किसी अस्थायी सुख या लाभ के लिये किसी स्थायी मूल्य को खो रहा हूँ?