श्लोक ०३-०२

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम् । सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥ ०३-०२॥
आचरण कुल को प्रकट करता है, वाणी देश को प्रकट करती है; सत्कार स्नेह को प्रकट करता है, शरीर भोजन को प्रकट करता है।

मनुष्य के बाह्य व्यवहार, भाषा, भाव, और शारीरिक अवस्थाओं में उसके भीतरी गुण, सामाजिक पृष्ठभूमि, और संबंधों की सच्चाई सहज रूप से प्रकट हो जाती है। व्यक्तित्व का मूल्यांकन केवल शब्दों या दावों से नहीं, बल्कि इन सूक्ष्म संकेतों से किया जाता है। आचरण — जिसमें व्यक्ति का चाल-चलन, शिष्टाचार, और व्यवहारिक मर्यादा सम्मिलित है — उसके पारिवारिक और सांस्कृतिक मूल्यों का दर्पण होता है। श्रेष्ठ कुल से आया व्यक्ति अपने आप में संयम, शालीनता, और अनुशासन को स्वाभाविक रूप से धारण करता है, जबकि विपरीत स्थिति में ये गुण नदारद होते हैं।

भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि यह उस भूमि, समाज और संस्कृति का प्रतिबिम्ब है जहाँ व्यक्ति का विकास हुआ है। उसकी बोली, उच्चारण, और शब्दचयन उसके मूल स्थान की सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान उजागर कर देते हैं। इसीलिए भाषा केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, बल्कि पहचान और पृष्ठभूमि की सहज अभिव्यक्ति भी है।

किसी के द्वारा दिखाया गया सत्कार या सम्भ्रम, जो आतिथ्य, आदर, और व्यवहार में झलकता है, यह संकेतक है कि वह व्यक्ति सामने वाले के प्रति कितना स्नेह और अपनापन रखता है। सत्कार में यदि औपचारिकता हो तो वह पहचान में आ जाती है; वहीं जब उसमें आत्मीयता होती है तो वह सहज महसूस होती है। इस प्रकार सम्भ्रम केवल शिष्टाचार नहीं, बल्कि संबंधों की गहराई और आत्मीयता का प्रतीक भी है।

शारीरिक स्वरूप, विशेष रूप से स्वास्थ्य, पोषण, और आकर्षण, भोजन की गुणवत्ता, मात्रा, और नियमितता को उजागर करता है। किसी व्यक्ति का शरीर यदि पुष्ट, स्वस्थ और संतुलित है तो यह दर्शाता है कि उसे संतुलित आहार और जीवनशैली प्राप्त है। वहीं, उपेक्षित शरीर यह संकेत करता है कि पोषण या जीवनशैली में असंतुलन है। अतः शरीर उस आंतरिक दशा का बाह्य संकेतक है जो भोजन और जीवनपद्धति से निर्मित होती है।

इन सभी संकेतकों का संयोजन मनुष्य की वास्तविकता को उजागर करता है, चाहे वह खुद उसे छिपाना चाहे या नहीं। सामाजिक व्यवहार के ये अभिव्यक्तिमूलक अंग उस सतह को पार कर जाते हैं जहाँ केवल शब्द और दिखावा होते हैं, और व्यक्ति की सच्चाई को सामने लाते हैं। इन्हें नीतिशास्त्र के व्यावहारिक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, जो व्यक्तियों की परख, व्यवहारिक निर्णय, और संबंधों की सूक्ष्म समझ के लिए आवश्यक हैं।