श्लोक ०२-१८

Chanakyaneeti Darpan by Acharya Chankya
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम् । प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा ॥ ॥०२-१८॥
दक्षिणा लेकर ब्राह्मण यजमान को त्याग देते हैं, विद्या प्राप्त करके शिष्य गुरु को त्याग देते हैं, और जल जाने पर वन को मृग त्याग देते हैं।

यह सूत्र कृतघ्नता की प्रकृति को उजागर करता है। कृतघ्नता एक ऐसी प्रवृत्ति है जिसमें व्यक्ति उस उपकार को भूल जाता है जो उसे किसी अन्य व्यक्ति से प्राप्त हुआ हो, और वह उस व्यक्ति के प्रति आभार व्यक्त करने या उसे चुकाने में विफल रहता है।

ब्राह्मणों का दक्षिणा लेकर यजमान को त्यागना, शिष्यों का विद्या प्राप्त करके गुरु को त्यागना, और मृगों का वन के जल जाने पर उसे त्यागना, सभी कृतघ्नता के उदाहरण हैं। इन उदाहरणों में, व्यक्ति या जीव उस स्रोत को त्याग देता है जिससे उन्हें लाभ हुआ था।

कृतघ्नता के कई कारण हो सकते हैं। कुछ मामलों में, यह स्वार्थ का परिणाम हो सकता है। व्यक्ति केवल अपने लाभ के बारे में सोचता है और दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भूल जाता है। अन्य मामलों में, यह अज्ञानता का परिणाम हो सकता है। व्यक्ति यह नहीं समझ पाता है कि उसे किसी अन्य व्यक्ति से कितना लाभ हुआ है।

कृतघ्नता एक गंभीर नैतिक दोष है। यह न केवल उस व्यक्ति को नुकसान पहुंचाता है जिसके प्रति कृतघ्नता की जाती है, बल्कि यह उस व्यक्ति को भी नुकसान पहुंचाता है जो कृतघ्न है। कृतघ्नता व्यक्ति को दूसरों के साथ जुड़ने और सार्थक संबंध बनाने से रोकती है।

कृतघ्नता से बचने के लिए, हमें हमेशा उन लोगों के प्रति आभारी रहना चाहिए जिन्होंने हमारी मदद की है। हमें उन्हें धन्यवाद देना चाहिए और उन्हें चुकाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि हम सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं, और हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

कृतघ्नता के विपरीत, कृतज्ञता एक सद्गुण है। कृतज्ञता हमें दूसरों के साथ जुड़ने और सार्थक संबंध बनाने में मदद करती है। यह हमें खुश और संतुष्ट रहने में भी मदद करती है।

अतः, हमें कृतघ्नता से बचना चाहिए और कृतज्ञता को अपनाना चाहिए। कृतज्ञता हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगी।

यह विश्लेषण सार्वभौमिक है और किसी भी विशिष्ट सांस्कृतिक या धार्मिक संदर्भ तक सीमित नहीं है। कृतघ्नता एक मानवीय दुर्गुण है जो सभी संस्कृतियों और धर्मों में पाया जाता है।