धर्मोपदेशविख्यातं कार्याकार्यं शुभाशुभम् ॥ ॥०१-०२॥
केवल ग्रंथों का बाहरी अध्ययन पर्याप्त नहीं है, बल्कि श्रेष्ठ व्यक्ति वह है जो शास्त्रों का गहन अध्ययन करके धर्मोपदेश के अनुसार कर्मों के भेद — कार्य, अकार्य, शुभ, अशुभ — को स्पष्ट रूप से जानता है। शास्त्रों का उद्देश्य केवल सूचनाओं का संकलन नहीं, बल्कि जीवन के व्यवहार और निर्णयों में मार्गदर्शन प्रदान करना है।
अध्ययन की प्रक्रिया में यह समझना आवश्यक है कि कौन से कर्म करने योग्य हैं, कौन से नहीं, और कौन से शुभ तथा अशुभ। यह विवेकपूर्ण समझ जीवन के जटिल संदर्भों में सही निर्णय लेने के लिए अनिवार्य है। धर्मोपदेश हमें नैतिकता, नीति, और व्यवहार के सटीक पैमाने प्रदान करता है, जो व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
यदि केवल ग्रंथों के शब्द याद कर लिए जाएँ लेकिन उनके अर्थ, भाव और व्यवहारिक प्रयोग न समझा जाए तो ज्ञान अधूरा रहता है। 'अधीत्येत' का अर्थ है गहन अध्ययन, मनन, और अनुभव से प्राप्त ज्ञान, जो व्यक्ति को जीवन के विविध पहलुओं में न्यायसंगत निर्णय लेने में सक्षम बनाता है। यह केवल सैद्धांतिक ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक और नैतिक समझ है जो जीवन की उलझनों में सही मार्ग दिखाती है।
धर्मोपदेश की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कर्मों के विभाजन के माध्यम से मनुष्य को उसकी जिम्मेदारियों का बोध कराता है। जब कर्मों को शुभ-अशुभ, कार्य-अकार्य के रूप में स्पष्ट किया जाता है, तो लक्ष्य केवल व्यक्तिगत कल्याण नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समरसता की स्थापना भी होती है। धर्मोपदेश के बिना मनुष्य अधूरा, भ्रमित और नैतिक संकट में फंसा रहता है।
इसके अतिरिक्त, धर्मोपदेश जीवन के उस उच्चतम स्तर को परिभाषित करता है जहाँ केवल बाहरी नियमों का पालन नहीं, बल्कि आंतरिक विवेक, नैतिकता, और सामाजिक दायित्वों का समन्वय आवश्यक होता है। यह नीतिशास्त्र का आधार है, जो जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और न्याय स्थापित करता है।
इस प्रकार, यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञानी बनना नहीं, बल्कि ज्ञान को व्यवहार में उतार कर अपने और समाज के हित में सही-गलत, शुभ-अशुभ का विवेकपूर्ण भेद करना है। श्रेष्ठ व्यक्ति वह है जो ज्ञान की गहराई में जाकर धर्मोपदेश को समझता है और उसे जीवन के प्रत्येक निर्णय में अपनाता है। यह दृष्टिकोण न केवल व्यक्तिगत विकास बल्कि न्यायसंगत एवं समृद्ध समाज के निर्माण में सहायक होता है।